Delhi Metro DDA Land Scam | डीएमआरसी ने DDA जमीन घोटाले के तहत किया करोड़ों का ‘खेल’
दिल्ली मेट्रो अधिकारीयों ने मेट्रो डिपो बनाने के लिए DDA से प्राप्त जमीन को माल मालिकों को देकर किया करोड़ों का ‘खेल’
- दो साल के लिए कंस्ट्रक्शन डिपो के लिए मिली जमीन डीएमआरसी ने बिल्डर को दे दी थी।
- ततारपुर को ख्याला साबित करने की कोशिश में डीएमआरसी का मुख्य सुरक्षा अधिकारी।
- ख्याला में मिली जमीन की जगह ततारपुर की प्राइवेट जमीन को कब्जा कर बिल्डर ने बनाया शॉपिंग मॉल।
- पेसिफिक मॉल का मालिकाना हक एक-दूसरे का बता रहे हैं डीएमआरसी और मॉल प्रबंधन।
नई दिल्ली। मेट्रो की सुगम यात्रा के लिए बाहर जितनी प्रसिद्धि है, अंदर से डीएमआरसी में अनियमितताओं के उतने ही ज्यादा आरोप लगे हैं। ताजा मामला डीएमआरसी के संपत्ति विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा सामने आया। डीडीए से कंस्ट्रक्शन डिपो बनाने के लिए सिर्फ दो साल के लिए ख्याला में मिली जमीन को एक नामी बिल्डर को दे दी गई। लेकिन आरोप है कि बिल्डर ने ख्याला में निर्माण नहीं किया और अपनी सुविधानुसार ततारपुर में निर्माण कर दिया। बताया जाता है कि ततारपुर की जमीन ग्रामीणों की है, और वो भी निजी। हालांकि, डीएमआरसी के अधिकारी ऐसे आरोपों से इनकार कर रहे हैं। कई अधिकारी तो इससे बचने के प्रयास कर दिए हैं।
डीएमआरसी को अधिकार है कि शुरुआत में परियोजना की लागत का करीब 7 प्रतिशत डीएमआरसी अपनी खाली संपत्तियों को आमदनी के लिए किराए पर दे सकती है। इसी के तहत पेसिफिक मॉल को ख्याला में यह जमीन दी गई। लेकिन बताया जाता है कि पेसिफिक ग्रुप ने निर्माण ख्याला की जगह ततारपुर में कर दिया। फिलहाल मॉल का निर्माण हो चुका है। जब संपत्ति विकास विंग के अधिकारियों से बात की गई और नियमों के बारे में जानना चाहा तो संपत्ति विकास विंग के अधिकारी डी.आर पसरीजा ने बताया कि प्रोवीजनल बेस पर मिली किसी भी जमीन को काम पूरा होने के बाद संबंधित भूमि स्वामी को वापस कर दिया जाता है। नियम है कि उसे हम किसी को भी लीज पर नहीं दे सकते। ऐसी जमीनों की प्रक्रिया अलग होती है।
मॉल से होने वाली आमदनी को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। क्योंकि डीएमआरसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि मॉल से हमारा कोई संबंध नहीं है। उधर, मॉल मालिक ने भी कहा कि मॉल से हमारा कोई संबंध नहीं है मॉल डीएमआरसी का है। बताया जा रहा है कि डीएमआरसी के कई अधिकारियों की इसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत है। कई सामाजिक संगठन अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
दावा यह किया जा रहा है कि डीएमआरसी के सुरक्षा अधिकारी ने मॉल मालिक के बचाव में राजस्व विभाग को खत लिखकर यह निर्देश दिया कि उसे संबंधित रिकॉर्ड में सुधार करना चाहिए।
संस्था दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) एक विश्वविख्यात संस्था है। इसके वाइस चेयरमैन दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, शहरी विकास मंत्रालय के सचिव जैसे कई बड़े ब्यूरोकेट्स डायरेक्टर हैं। इसके बावजूद डीएमआरसी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शुरुआत हो चुकी है। ताजा मामला डीएमआरसी के संपत्ति विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा सामने आया है। डीडीए से कंस्ट्रक्शन डिपो बनाने के लिए मात्र दो साल के लिए ख्याला में मिली जमीन को एक नामी गिरामी बिल्डर को दे दी गई, लेकिन बिल्डर ने ख्याला में निर्माण न करते हुए ततारपुर में निर्माण कर दिया। हद तो ये है कि ततारपुर की ये जमीन ग्रामीणों की है और वह उनकी निजी संपत्ति है।
मामले का खुलासा होने पर डीएमआरसी के अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हैं। वहीं बिल्डर को बचाने के लिए मेट्रो के एक सुरक्षा अधिकारी ने अपनी तरफ से विभागों को पत्र लिखना शुरू कर दिया है। हालांकि इस सुरक्षा अधिकारी को इस बारे में अधिकृत करने से डीएमआरसी द्वारा इनकार किया जा रहा है।
बताया गया कि वर्ष 1996 में एमआरटीएस फेस 1 को मंजूरी देते समय यूनियन कैबिनेट ने यह आदेश दिया था कि शुरुआत में परियोजना के लागत का लगभग सात प्रतिशत डीएमआरसी अपनी खाली संपत्तियों को रेवेन्यू जनरेट करने के लिए किराए पर दे सकता है। इसी के तहत डीएमआरसी ने वर्ष 1999 में इस स्कीम के कार्यान्वन के लिए संपत्ति विकास विंग की स्थापना की थी। वही संपत्ति विकास विंग आज अपने विशेषाधिकार का फायदा उठाते हुए बिल्डरों को फायदा पहुंचा रही है। ताजा मामला पेसिफिक मॉल से संबंधित है।
पेसिफिक मॉल को डीएमआरसी ने ख्याला में जमीन दी थी, लेकिन पेसिफिक ग्रुप ने ख्याला में निर्माण न करते हुए ततारपुर में निर्माण कर दिया। यह जमीन प्राइवेट है। फिलहाल मॉल का निर्माण हो चुका है, जिसकी सालाना आमदनी तकरीबन कई सौ करोड़ रुपए है। अब यह करोड़ों रूपए डीएमआरसी के पास जा रहे हैं या मॉल मालिक के पास आ रहे हैं, इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है, क्योंकि डीएमआरसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि मॉल से हमारा कोई संबंध नहीं हैं। उधर मॉल मालिक ने भी कहा कि मॉल से हमारा कोई संबंध नहीं है। मॉल डीएमआरसी का है।
वहीं जब इस मामले की शिकायत हुई, तो जांच के दौरान कई दस्तावेज आए, जो चौंकाने वाले हैं। इसमें फिलहाल डीएमआरसी के कई अधिकारी गिरफ्तार होने की कगार पर पहुंच गए हैं। पुलिस सूत्रों की मानें, तो यह दिल्ली की अब तक की सबसे बड़ा जमीन कब्जाने का मामला है। इसमें डीएमआरसी के कई ब्यूरोकेट्स, दिल्ली के कुछ राजनेता व देश का एक नामी बिल्डर का नाम सामने आ रहा है। मामले को लेकर आंदोलन भी शुरू हो गए हैं। सूत्रों की मानें, तो इंडिया अगेंस्ट करप्शन 2.0 समेत दिल्ली के कुछ एनजीओ डीएमआरसी के भ्रष्टाचार के खिलाफ हेड ऑफिस जाकर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। उधर, इस मामले की पड़ताल के दौरान जब डीएमआरसी से उसका पक्ष जानने के लिए सवाल भेजे गए, तब डीएमआरसी ने लिखित रूप से अपना कोई जवाब नहीं दिया।
जब संपत्ति विकास विंग के अधिकारियों से बात की गई और नियमों के बारे में जानने की कोशिश की गई, तो संपत्ति विकास विंग के अधिकारी डीआर पसरीजा ने बताया कि प्रोविजनल आधार पर मिली किसी भी जमीन को काम पूरा होने के बाद संबंधित भूमि स्वामी को वापस कर दिया जाता है। ऐसा नियम है। उसे हम किसी को भी लीज पर नहीं दे सकते। लीज पर दी जाने वाली जमीनों की प्रक्रिया अलग होती है।
ततारपुर को ख्याला साबित करने में जुटे डीएमआरसी सुरक्षा अधिकारी
ख्याला में पेसिफिक ग्रुप को रेवेन्यू जनरेट करने के लिए डीएमआरसी से जमीन मिली थी, पर मॉल मालिक ने अपनी महत्वाकांक्षा से यह निर्माण ततारपुर में करा दिया। इस पर डीएमआरसी के अधिकारी अब लीपापोती करने में जुट गए हैं। अपनी नौकरी जाने के डर से कोई इसकी जिम्मेदारी नहीं ले रहा। ऐसे में डीएमआरसी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने मॉल मालिक के बचाव में राजस्व विभाग को खत लिखकर यह निर्देश दिया है कि उसे संबंधित रिकॉर्ड में सुधार करना चाहिए। हालांकि राजस्व विभाग ने अपने सारे रिकॉर्ड चेक किए हैं। उसके मुताबिक, मॉल का निर्माण निजी जमीन पर हुआ है। उधर, डीडीए ने डीएमआरसी को यहां पर लीज पर दी गई किसी जमीन से पहले ही इनकार कर दिया था। मुख्य सुरक्षा अधिकारी के इस पक्ष से राजस्व विभाग के अधिकारी खफा हैं। सूत्रों के मुताबिक, एक सेवानिवृत्त आईपीएस ने अपने लिखे खत में राजस्व विभाग के एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी और कानूनगो तक को झूठा बताया और ततारपुर को रिकॉर्डों में ख्याला कहने के लिए विवश किया। फिलहाल डीएमआरसी के इस अधिकारी की राजस्व विभाग में खिल्ली उड़ाई जा रही है।
डीएमआरसी अधिकारियों की बेनामी संपत्तियों का हो सकता है खुलासा
डीएमआरसी के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ बेनामी संपत्ति के मामले भी सामने आए हैं। सूत्रों की मानें, तो संपत्ति विकास विभाग के एक अधिकारी ने अपनी कुछ संपत्तियां जीपीए के माध्यम से अर्जित की हैं। इनकी कीमत उनकी कमाई से कई सौ गुना अधिक बताई गई है। गौरतलब है कि उक्त अधिकारी के पीतमपुरा व रोहिणी के अलावा एनसीआर में भी कई संपत्तियां अर्जित करने की सूचना है, जिसका ब्यौरा उन्होंने अब तक विभाग को नहीं दिया है।
क्या कहते हैं ज़िम्मेदार अधिकारी
(मोहिंदर यादव, उप जन संपर्क अधिकारी, दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ) |
"मैं दिल्ली मेट्रो का सुरक्षा अधिकारी हूं। मेट्रो सुरक्षा से संबंधित कोई भी मामला मेरे दायरे में आता है। मेरे बारे में यह जो आप पूछ रहे हैं, उसके बारे में जनसंपर्क अधिकारी अनुज दयाल से बात करें। मैं इस बारे में कुछ भी बोलना नहीं चाहता। सुरक्षा के अलावा मैं किसी मुद्दे पर नहीं बोलूंगा।" - एमएस उपाध्याय, मुख्य सुरक्षा अधिकारी, दिल्ली मेट्रो
"हमें डीएमआरसी ने इस मामले में कुछ भी कहने से मना किया है। हम इस मामले में कोई बात नहीं करेंगे। इस मामले में कोई भी बात डीएमआरसी के सुरक्षा अधिकारी एमएस उपाध्याय करेंगे। हमें डीएमआरसी के अधिकारियों ने स्पष्ट तौर पर कोई भी कागजात या किसी मामले पर कुछ भी बात करने से मना किया है, इसलिए बेहतर होगा कि आप डीएमआरसी से बात करें।" - इंद्र कुमार ठाकुर, वाइस प्रेसिडेंट, पेसिफिक मॉल
(दैनिक भास्कर, ४ सितम्बर २०१७) |
समाचार स्रोत:
1. http://dainikbhaskarup.com/news/dmrc-involved-in-land-grab/17859.html
2. http://dainikbhaskarup.com/news/delhi-metro-rail-corporation-and-mall-owner-involved-in-land-grabbing/16767.html
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